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  • Date :2022-03-05

ज्योतिषशास्त्र का परिचय:-

वेदः चक्षु किलेदम् ज्यौतिषम। श्लोक से ही स्पष्ट हो जाता है की ज्योतिष वेद पुरुष के नेत्र हैं और नेत्र का कार्य हैं सर्वत्र देखना जैसा कि वर्तमान में भी ज्योतिष शास्त्र का यही स्वरूप ग्रहों के फलादेश के रूप में हम लोगों के समक्ष उपस्थित है।ज्योतिष शास्त्र के द्वारा ही ग्रहों के  शुभाशुभ फल का विवेचन किया जाता है। जिसका प्रभाव संपूर्ण ब्रह्मांड पर दृष्टिगोचर होता है। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा स्थूल और सूक्ष्म फलादेश भी किया जाता है। स्थूल फलादेश जो कि मानवीय जीवन से जुड़े होते हैं और सूक्ष्म फलादेश जो कि ग्रहों से जुड़े होते हैं।..

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