किसी भी संस्था या सरकारी व किसी भी संस्था में काम करना नौकरी करना होता है। नौकरी बहुत प्रकार से हो सकते हैं। जैसे - सरकारी नौकरी व प्राइवेट नौकरी और अर्ध-सरकारी नौकरी होती हैं ।
Contact us nowअनुष्ठान (ritual) से तात्पर्य ऐसे क्रमबद्ध कार्यों कार्यों से है जो विशेष स्थान पर, विशेष विधि से, विशेष शब्दों द्वारा किए जाते हैं। कर्मकाण्ड किसी समुदाय की परम्परा के अंग हो सकते हैं।
Contact us nowहर व्यक्ति की चाह होती है कि उसका व्यापार खूब तरक्की करे. इसके लिए व्यक्ति कई तरह के उपाय करता है. दिन रात मेहनत करता है. इन दिनों हर दूसरा व्यक्ति बिजनेस न चलने से परेशान है.
Contact us nowसूर्य की बाधा होने पर विवाह प्रस्ताव के जाते समय थोड़ा गुड़ खाकर और पानी पीकर जाना चाहिए। साथ ही लड़के या लड़की की माता को गुड़ खाना छोड़ देना चाहिए। यदि किसी लड़के या लड़की की कुंडली में सूर्य की वजह से विवाह होने में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में सूर्य को जल चढ़ाएं और इस मंत्र का जप करें।
Contact us nowयदि सूर्य, मंगल, राहू, शनि व केतु संतान के प्रतिबंधक हो तो अपने कुल देवता की शास्त्रोक्त रीति से पूजा कर पितर बाधा शांत करना श्रेयस्कर रहता है। यदि संतान प्राप्ति में बुध, गुरु व नवमेश बाधक हो तो धार्मिक अनुष्ठान से शीघ्र फल प्राप्त होता है। यदि इन पर सौम्य ग्रहों की दृष्टि हो तो भी धार्मिक अनुष्ठान फलदायी होते हैं।
Contact us nowघर में शांति का भंग होना, कलेश रहना आदि कुछ संकेत हैं, जो घर में वास्तु दोष होने का इशारा देते हैं. Vastu Dosh: घर में मौजूद वास्तु दोष लोगों के जीवन में बुरा असर डालते हैं. घर में शांति का भंग होना, कलेश रहना आदि कुछ संकेत हैं, जो घर में वास्तु दोष होने का इशारा देते हैं. लेकिन कुछ वास्तु दोष बहुत खतरनाक होते हैं.
Contact us nowचंद्रमा कमजोर होने पर हमारी कल्पना और सोचने की शक्ति हमारा साथ नहीं देती, लग्न कमजोर होने पर कार्य शुरू करने का निर्णय नहीं जुटा पाते, तीसरा भाव कमजोर होने पर हम निर्णय लेने के बाद भी कार्य संपादन शुरू नहीं कर पाते, दसवां भाव कमजोर होने पर हमारे प्रयासों में कमी रहती है और ग्यारहवां भाव कमजोर होने पर हम इच्छित फल प्राप्त करने से वंचित रह सकते हैं।
Contact us nowनवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।
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